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बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में खेले खिलाड़ियों को मिला नगद प्रोत्साहन खेलपथ संवाद लखनऊ। उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली खेल प्रतिभाओं को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश दिवस समारोह में सम्मानित किया। अवध शिल्पग्राम में हुए आयोजन में 2021-22 के लिए लक्ष्मण और लक्ष्मीबाई पुरस्कार दिए गए। इस दौरान नोएडा के जिलाधिकारी व पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एलवाई समेत 12 खेल प्रतिभाओं को इस पुरस्कार से नवाजा गया। साथ ही 28 जुलाई से 8 अगस्त 2022 तक बर्मिंघम (ब्रिटेन) में हुए 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने व प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक खिलाड़ी को 3.11 लाख रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र व लक्ष्मण व लक्ष्मीबाई की कांस्य की प्रतिमा दी। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, काबीना मंत्री सूर्य प्रताप शाही, एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद यादव आदि मौजूद रहे। इन्हें मिले लक्ष्मीबाई और लक्ष्मण पुरस्कारः सुहास एलवाई-पैराबैडमिंटन- जिलाधिकारी नोएडा, विवेक चिकारा-पैरा तीरंदाजी-मेरठ, दीपेंद्र सिंह-पैरा शूटिंग-संभल, जनार्दन सिंह यादव-कुश्ती-गाजीपुर, मोहित यादव-हैंडबाल-लखनऊ, ज्योति शुक्ला-हैंडबाल-कानपुर नगर, नेहा कश्यप-वुशू-मेरठ, मनीषा भाटी-वुशू-नोएडा, राहुल सिंह-हॉकी-वाराणसी, तरुणा शर्मा-जूडो-मेरठ, मोहम्मद आरिफ-हॉकी-गोरखपुर, राधेश्याम सिंह-एथलेटिक्स-आजमगढ़। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में गए खिलाड़ियों को नगद प्रोत्साहन प्रियंका गोस्वामी एथलेटिक्स रजत पदक 75 लाख रुपये, ललित कुमार उपाध्याय हॉकी रजत पदक 75 लाख रुपये, मेघना सिंह क्रिकेट रजत पदक 75 लाख रुपये, दीप्ति शर्मा क्रिकेट रजत पदक 75 लाख रुपये, अन्नू रानी एथलेटिक्स कांस्य पदक 50 लाख रुपये, दिव्या काकरान कुश्ती कांस्य 50 पदक लाख रुपये, विजय कुमार यादव जूडो कांस्य पदक 50 लाख रुपये, वंदना कटारिया हॉकी कांस्य पदक 50 लाख रुपये। सीमा पूनिया एथलेटिक्स प्रतिभाग 5 लाख रुपये, सरिता रोमित सिंह एथलेटिक्स प्रतिभाग 5 लाख रुपये, रोहित यादव एथलेटिक्स प्रतिभाग 5 लाख रुपये, पूनम यादव भारोत्तोलन प्रतिभाग 5 लाख रुपये, पूर्णिमा पाण्डेय भारोत्तोलन प्रतिभाग 5 लाख रुपये, पूनम यादव भारोत्तोलन प्रतिभाग 5 लाख रुपये। जानिये सम्मान पाने वाले ज्योति और मोहित की कहानी उत्तर प्रदेश दिवस पर दो हैण्डबॉल खिलाड़ियों को लक्ष्मण और रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इनमें मोहित यादव (लक्ष्मण) और ज्योति शुक्ला (रानी लक्ष्मीबाई) शामिल हैं। रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार पाने वाली कानपुर की ज्योति शुक्ला ने बताया कि पिता शिव शंकर शुक्ला व्यापार करते हैं लेकिन एक समय ऐसा आया कि कारोबार चौपट हो गया। इसके बाद इतनी धनराशि नहीं थी कि स्कूल की फीस जमा कर सकूं। लेकिन अभिभावकों ने कभी यह नहीं कहा कि खेल छोड़ दो। शुरुआती दौर में प्रशिक्षक अतुल मिश्रा ने मुझे हैंडबाल की ट्रेनिंग दी। इसके अलावा कानपुर के हैंडबाल एसोसिएशन के सचिव और प्रशिक्षक ने हमारी आर्थिक मदद भी की। इसके बाद जब साई हॉस्टल में चयन हो गया फिर मैंने दिन-रात एक कर दिये। छात्रावास में पहुंचने के बाद दो वर्ष के अंदर हमने जूनियर स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मुकाबले भी खेल लिये। इसके बाद एक-एक कर सीनियर स्तर पर भी कई मुकाबले खेले। अपनी कामयाबी का श्रेय मैं अपने माता-पिता के साथ प्रशिक्षकों को देती हूं। ज्योति शुक्ला की हैण्डबॉल खेल की उपलब्धियां: 49वीं सीनियर महिला हैण्डबाल चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश की टीम में शामिल रहते हुए कांस्य पदक जीता, राजधानी में आयोजित हुई पांचवीं साउथ एशियन महिला हैण्डबाल चैम्पियनशिप के दौरान भारतीय महिला टीम में शामिल रही और स्वर्ण पदक जीता, वर्ष 2018 में जकार्ता में हुए 18वें एशियन गेम्स और वर्ष 2019 में जापान में हुई 17वीं एशियाई महिला हैण्डबाल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया। देश के लिए कुछ करने के जज्बे ने पहुंचाया इस मुकाम तकः मोहित देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा मुझे खेल की दुनिया में ले आया। मेरे मन में बस एक ही इच्छा थी कि देश का नाम रोशन कर सकूं। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय हैण्डबाल खिलाड़ी मोहित यादव का। सरोजनी नगर लखनऊ में रहने वाले मोहित ने बताया कि उनके घर में किसी का भी खेल से दूर-दूर तक नाता नहीं है। उनके घर के निकट एक फुटबॉल खिलाड़ी रहते थे। वही उन्हें खेल की दुनिया में ले गए। फिर हैंडबाल में उनकी रुचि बढ़ती गई और वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में वह चोटिल हो गए थे। ऐसा लगने लगा कि अब खेल छूट जायेगा। लेकिन प्रशिक्षक तौहीद खान ने उन्हें प्रोत्साहित किया। ट्रेनिंग देने वाले तौहीद ने उनकी फिजियोथेरेपी करवाई। उसके बाद फिर अभ्यास शुरू करवाया। उन्होंने बताया कि मेरे पिता एक सीएचसी में मेडिकल कर्मचारी थे और अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि घर में पुरस्कार मिलने से मेरा ख्वाब तो पूरा हो गया लेकिन अभी नौकरी नहीं मिली है।