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कहा- साजिश के पीछे एक बड़े उद्योगपति का हाथ खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारत के दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुधवार (18 जनवरी) को धरने पर बैठ गए। उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कई कोच पर कई आरोप लगाए। इनमें स्टार पहलवान विनेश फोगाट द्वारा लगाया गया यौन शोषण का आरोप प्रमुख है। अब इस पूरे मामले पर बृजभूषण शरण सिंह ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया। बृजभूषण ने कहा कि अगर ये सही साबित हुए तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा। उन्होंने कहा कि पहलवानों के धरने के पीछे एक बड़े उद्योगपति का हाथ है। अपने ऊपर लगे आरोपों पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ''क्या ऐसा कोई खिलाड़ी है जो आकर कह सकता है कि कुश्ती संघ ने उसे प्रताड़ित किया? क्या उन्हें पिछले दस साल से फेडरेशन से कोई समस्या नहीं थी? ये सारी बातें तब हो रही हैं जबसे नए नियम लागू किए गए हैं। धरने पर बैठे पहलवानों ने ओलंपिक के बाद से किसी भी राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है। यौन शोषण की कोई घटना नहीं हुई है। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो मैं फांसी लगा लूंगा।'' उन्होंने कहा, ''मैं विनेश फोगाट से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने ओलंपिक में हार के बाद कंपनी की लोगो वाली पोशाक क्यों नहीं पहनी थी? उसके मैच हारने के बाद, मैंने केवल उसे प्रोत्साहित और प्रेरित किया था। यौन शोषण के बहुत बड़ा आरोप है। जब मुझे ही इसमें घसीटा गया है तो मैं कैसे कोई कार्रवाई कर सकता हूं? मैं जांच के लिए तैयार हूं।'' बृजभूषण शरण सिंह ने क्या-क्या कहा? यौन उत्पीड़न पर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ''जब मुझे पता चला कि पहलवान धरने पर बैठे हैं तो मैं तुरंत फ्लाइट का टिकट लेकर दिल्ली पहुंच गया। क्या कोई सामने है कि कह दे कि संघ ने कभी किसी खिलाड़ी का शोषण किया है? क्या कोई मेरे सामने कह सकता है कि मैंने शोषण किया है? यह गलत है। इसमें मुख्य कोच का नाम भी लिया गया है।'' उन्होंने कहा, ''मैं ये पूछना चाहता हूं कि आप नेशनल में नहीं खेलोगे और आप ओपन-नेशनल में नहीं खेलोगे। उसके बाद यह कहोगे कि ट्रायल भी सिर्फ एक हो। देश के अन्य खिलाड़ी भी एशिया या ओलंपिक स्तर पर खेलना चाहते हैं। जब आपको फेडरेशन से इतनी ही समस्या थी तो आपने 10 सालों में क्यों नहीं बताया?'' बृजभूषण ने ओलम्पिक ट्रायल को लेकर दिया बयान बृजभूषण ने ओलंपिक ट्रायल को लेकर भी विस्तार से बताया, ''संघ ने दुनिया के कई देशों के नियमों का अध्ययन करने के बाद एक नियम बनाया। हमने ओलंपिक के बाद ट्रायल का नियम बनाया। किसी को ओलंपिक में जाना है तो उसे देश के अन्य खिलाड़ियों के साथ ट्रायल होगा। जो खिलाड़ी ओलंपिक का कोटा हासिल कर चुका है, उसका मुकाबला देश में ट्रायल जीतने वाले के साथ होगा। फिर वहां से ओलंपिक के लिए पहलवान का चयन होगा। अगर ओलंपिक कोटा हासिल करने वाला हार जाता है तो उसे फिर एक मौका दिया जाएगा। हम नियम के अनुसार काम कर रहे हैं। तानाशाही की कोई बात ही नहीं। यह मेरा फैसला नहीं, बल्कि अच्छे कोचों और इन खिलाड़ियों से राय लेने के बाद लिया गया है।" बृजभूषण ने आगे कहा, ''जितने लोग धरने पर बैठे हैं वे ओलम्पिक के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नहीं लड़े हैं। ये खिलाड़ी देश के अंदर एक भी प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं लिया। इसके बाद हमने यह फैसला किया कि किसी अगर कैंप में आना है तो उसे राष्ट्रीय स्तर पर खेलना होगा। कुछ खिलाड़ियों ने कहा कि हमें इस बारे में पता नहीं था, तो हमने सरकार से बात की और फिर उनका नाम अलग से दिया। जो खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं, वह भी तो ओलंपिक में खेलने का सपना देख रहे हैं।'' बृजभूषण ने आगे कहा, ''हाल ही में बजरंग और साक्षी मुझसे मिलकर गए थे, लेकिन तब उन्होंने अपनी समस्या के बारे में बात नहीं कही थी। उन्होंने कहा था कि सबकुछ सही है।''