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ऑस्ट्रेलियन ओपन के रूप में आखिरी ग्रैंडस्लैम खेलेंगी खेलपथ संवाद दुबई। भारत की स्टार महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने संन्यास की घोषणा कर दी है। ऑस्ट्रेलियन ओपन खेलने पहुंचीं सानिया ने कहा है कि इस साल ऑस्ट्रेलियन ओपन और फरवरी में दुबई ओपन के बाद वह टेनिस को अलविदा कह देंगी। यानी यह दो टूर्नामेंट उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा। सानिया ने संन्यास को लेकर बात पहले ही डब्ल्यूटीए टेनिस.कॉम से की थी। अब ट्विटर पर सानिया ने औपचारिक एलान भी कर दिया है। उन्होंने ट्विटर पर तीन पेज का नोट लिखकर बताया कि ऑस्ट्रेलियन ओपन और दुबई ओपन उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा। 36 साल की सानिया मिर्जा ने कहा था कि चोट के कारण उनकी 2022 की रिटायरमेंट योजनाओं में देरी हुई थी। यूएस ओपन में चोट की वजह से नहीं खेलने के बाद सानिया ने उस वक्त संन्यास नहीं लेने की घोषणा की थी। तीन पेज लंबे नोट में सानिया ने टेनिस में अपने सफर और संघर्ष के बारे में बताया है। सानिया ने अपने नोट में लिखा- 30 साल पहले हैदराबाद की एक छह साल की लड़की निजाम क्लब के टेनिस कोर्ट पर पहली बार अपनी मां के साथ गई और कोच ने बताया कि टेनिस कैसे खेलते हैं। कोच को लगा था कि टेनिस सीखने के लिए मैं बहुत छोटी हूं। मेरे सपनों की लड़ाई छह साल की उम्र में ही शुरू हुई। मेरे माता-पिता और बहन, मेरा परिवार, मेरे कोच, फिजियो समेत पूरी टीम के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था, जो अच्छे और बुरे समय में मेरे साथ खड़े रहे। मैं उनमें से हर एक के साथ अपनी हंसी, आंसू, दर्द और खुशी साझा की है। उसके लिए मैं सभी का धन्यवाद देना चाहती हूं। आप सभी ने जीवन के सबसे कठिन दौर में मेरी मदद की है। आपने हैदराबाद की इस छोटी सी लड़की को न केवल सपना देखने की हिम्मत दी बल्कि उन सपनों को हासिल करने में भी मदद की। आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया। सानिया ने लिखा- काफी उम्मीदों के साथ जब काफी विरोध हो रहा था, मैंने ग्रैंड स्लैम खेलने का सपना देखा था और स्पोर्ट के सर्वोच्च स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था। अब जब मैं अपने करियर को पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे लगता है कि न सिर्फ मैंने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का अर्धशतक लगाया बल्कि उनमें से कुछ जीतने में भी कामयाब रही। देश के लिए मेडल जीतना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान रहा है। पोडियम पर खड़ा होना और दुनिया भर में तिरंगा का सम्मान होते देखना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं जब यह लिख रही हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं और मेरी आंखों में आंसू हैं। सानिया ने लिखा- मैं खुद को बहुत धन्य मानती हूं कि मैंने अपने सपने को जिया है। साथ ही अपने गोल्स को भी हासिल किया। मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ रहा। प्रोफेशनल एथलीट रहे मुझे 20 साल हो चुके हैं और टेनिस प्लेयर रहते मुझे 30 साल बीत चुके हैं। यही मुझे पूरे जीवन में पता रहा। मेरे ग्रैंड स्लैम की यात्रा 2005 में ऑस्ट्रेलियन ओपन से शुरू हुई थी। इसलिए यही ग्रैंड स्लैम मेरा आखिरी ग्रैंड स्लैम बनने के लिए बिल्कुल सटीक है। जैसे कि मैं 18 साल बाद अपने आखिरी ऑस्ट्रेलियन ओपन के लिए तैयार हूं और इसके बाद फरवरी में होने वाले दुबई ओपन के लिए, मेरे मन काफी भावुक हो उठा है। मुझे गर्व महसूस हो रहा है। मैंने अपने 20 साल के प्रोफेशनल करियर में जो कुछ भी हासिल किया और जो यादें बनाईं उसके लिए आभारी हूं। जब भी मैं विजयी हुई तब अपने देश के लोगों के मन में जो खुशी देखी वह मेरे लिए सबसे यादगार पल है। सानिया ने लिखा- जिंदगी चलती रहनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह अंत है। यह अन्य यादों की शुरुआत है। मेरे बेटे को मेरी काफी जरूरत है और मैं उसे अच्छी जिंदगी और ज्यादा समय देने का और इंतजार नहीं कर सकती। 36 वर्षीय इस महीने कजाकिस्तान की एना डेनिलिना के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन में महिला डबल्स में खेलेंगी, जो किसी भी ग्रैंड स्लैम में उनकी आखिरी उपस्थिति होगी। कोहनी की चोट के कारण पिछले साल यूएस ओपन में वह नहीं खेल पाई थीं। अन्य फिटनेस समस्याओं ने भी उन्हें हाल के दिनों में परेशान किया है। डबल्स में भारतीय टेनिस की स्टार रहीं सानिया सानिया मिर्जा एक ऐसी पीढ़ी में भारतीय टेनिस की चमकती रोशनी में से एक रही हैं, जिन्हें डबल्स सर्किट के बाहर ज्यादा सफलता नहीं मिली। छह ग्रैंड स्लैम जीतने और विश्व नंबर एक डबल्स खिलाड़ी बनने से पहले, उनका एक उल्लेखनीय सिंगल्स करियर भी था, जो विश्व नंबर 27 की करियर बेस्ट रैंकिंग तक पहुंच गया वह 2005 में यूएस ओपन के चौथे राउंड तक पहुंची थीं। सानिया के ग्रैंड स्लैम खिताब मिक्स्ड डबल्स: ऑस्ट्रेलियाई ओपन (2009) मिक्स्ड डबल्स: फ्रेंच ओपन (2012) मिक्स्ड डबल्स: यूएस ओपन (2014) महिला डबल्स: विम्बलडन (2015) महिला डबल्स: यूएस ओपन (2015) महिला डबल्स: ऑस्ट्रेलियाई ओपन (2016)