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अब हैं ऑस्ट्रेलियाई ब्लाइंड फुटबॉल टीम के कप्तान ईरान में बचपन से भेदभाव झेला, धमकियों के कारण छोड़ा देश क्वींसलैंड। दिव्यांगता के चलते रोजाना के काम करना भी मुश्किल होता है। ऐसे में एक एथलीट होना शायद कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो। आमिर आब्दी ऐसे ही एक एथलीट हैं। जो इंटरनेशनल लेवल पर ब्लाइंड फुटबॉल खेलते हैं। वे इस समय भारत में सीरीज खेलने आए हैं। आब्दी का इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने का सफर बहुत कठिन था। उनका जन्म ईरान में हुआ था। वह एक कुर्द थे, इसलिए स्कूल में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता था। आब्दी बताते हैं- '12 साल की उम्र में सिरदर्द की परेशानी की वजह से मुझे अस्पताल ले जाया गया।' ऑपरेशन में हुई लापरवाही के कारण आंखों की रोशनी चली गई। आंखों की रोशनी गंवाने के बाद आब्दी के सारे सपने खत्म हो गए थे। लेकिन, उनके मामा ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने आब्दी का दाखिला दिव्यांगों के स्कूल में करवाया, लेकिन कुर्द होने का कारण दाखिला नहीं मिला, जिसके बाद वह इस्फहान के एक स्कूल में पढ़े। एक बार वे होमवर्क करके नहीं गए थे, तो उन्हें स्कूल के चक्कर लगाने की सजा मिली। वहां एक अध्यापक ने उन्हें खेलते देखा और उन्हें गोलबॉल की टीम में शामिल कर लिया। 2013 में ऑस्ट्रेलिया में शरणार्थी बनकर गए थे आब्दी वह राजनीति से भी जुड़े और दिव्यांगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने लगे, जिस कारण ईरान में उन्हें कई धमकियों का सामना करना पड़ा। फिर इसी वजह से 2013 में वे ऑस्ट्रेलिया में शरणार्थी बन गए। कुछ साल वह इमिग्रेशन डिटेंशन में रहे। वहां भी वे गोलबॉल खेलते, जिसके बाद उन्हें अस्थायी वीजा दिया गया। बहुत मुश्किलों के बाद फरवरी 2022 में उन्हें टैलेंट वीजा दिया गया। वह मेलबर्न में ब्लाइंड फुटबॉल की तरफ आकर्षित हुए। अब आब्दी का सपना है ऑस्ट्रेलिया की ब्लाइंड फुटबॉल टीम को 2024 या 2028 के पैरालिम्पिक में क्वालिफाई करवाना।