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एक किडनी के सहारे शीर्ष स्तर पर सफलताएं हासिल करने वाली बेजोड़ एथलीट खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारत की महिला एथलीट विश्व में शानदार प्रदर्शन कर अपना और परिवार समेत देश का मान बढ़ा रही हैं। पीवी सिंधू हों या साइना नेहवाल, मेरीकाॅम हों या मीराबाई चानू, कई महिला खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के साथ ही दुनिया की टॉप खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हैं। किसी महिला खिलाड़ी ने ओलम्पिक में पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया तो किसी ने कोई वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतकर गर्व से हर भारतीय का सीना चौड़ा कर दिया। इन्हीं महिला एथलीट में एक नाम है अंजू बाॅबी जाॅर्ज का। अंजू बाॅबी जाॅर्ज वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। अंजू बाॅबी जार्ज लम्बी कूद की खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय महिला एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज का जन्म केरल राज्य में 19 अप्रैल, 1977 को हुआ था। उनके पिता का नाम केटी मार्कोस था,जोकि एक फर्नीचर व्यापारी थे। अंजू के पिता ने ही उन्हें एथलेटिक्स की ओर प्रोत्साहित किया। अंजू बाॅबी ने कोरूठोडू स्कूल से पढ़ाई की और वहां से ही एथलेटिक्स की ट्रेनिंग भी शुरू की। अंजू ने विमला कॉलेज से स्नातक किया। इस दौरान उनकी रूचि एथलेटिक्स की ओर बढ़ी और उन्होंने इसे करियर के तौर पर चुनने का निर्णय लिया। अंजू बॉबी जॉर्ज स्कूल में लम्बी कूद, थ्रो और रनिंग आदि अलग-अलग खेलों में हिस्सा लेती थीं। उसके बाद अंजू को कोच के तौर पर सर थॉमस का साथ मिला। अंजू ने उनकी ट्रेनिंग के दौरान ओवर ऑल खिताब जीते। अंजू बाॅबी जाॅर्ज के पति भी एथलीट थे। उनकी शादी रॉबर्ट बाॅबी जाॅर्ज से हुई थी, वह लम्बी कूद में राष्ट्रीय चैम्पियन थे। अंजू को घर के साथ ही ससुराल में भी खेल का माहौल मिला, जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता रहा। अंजू के पति रॉबर्ट बाॅबी जाॅर्ज ने लम्बी कूद, ट्रिपल जंप में अपना करियर छोड़कर अंजू बाॅबी के करियर को निखारने में अपना पूरा समय दिया। अंजू बाॅबी जाॅर्ज की उपलब्धि साल 1996 में अंजू बाॅबी ने दिल्ली जूनियर एशियन चैम्पियनशिप लम्बी कूद का खिताब जीता था। बाद में 1999 में बेंगलुरू फेडरेशन कप में ट्रिपल जम्प में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। साल 2001 में अंजू बाॅबी ने तिरुवनंतपुरम में आयोजित नेशनल सर्किट मीट में लम्बी कूद के अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। लुधियाना में हुए राष्ट्रीय खेलों में ट्रिपल जंप और लम्बी कूद में स्वर्ण पदक जीता। साल 2002 में मैनचेस्टर में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में अंजू बाॅबी जाॅर्ज ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता। बाद में बुसान में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाला। साल 2003 में पेरिस में आयोजित हुई विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में लम्बी कूद में अंजू बाॅबी भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर भारत के लिए पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गईं। अंजू के बाद यह करिश्मा सिर्फ जेवलिन थ्रोवर नीरज चोपड़ा ही कर सके हैं। 2003 में विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (पेरिस) में कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेलों में इतिहास रचने वाली ओलम्पियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने दो साल पहले खुलासा किया था कि उन्होंने एक गुर्दे (किडनी) के सहारे ही शीर्ष स्तर पर सफलताएं हासिल कीं। आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता लम्बी कूद की इस स्टार एथलीट ने कहा कि उन्हें दर्द निवारक दवाईयों से भी एलर्जी थी और ऐसी तमाम बाधाओं के बावजूद वह सफलताएं हासिल कर पाईं। अंजू ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि 'मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में शामिल हूं जो एक गुर्दे के सहारे विश्व में शीर्ष स्तर पर पहुंचीं। यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाईयों से एलर्जी थी, दौड़ की शुरुआत करते समय मेरा आगे वाला पांव सही काम नहीं करता था। कई सीमाएं थीं तब भी मैंने सफलताएं हासिल कीं। क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं।' अपने पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज से कोचिंग लेने के बाद अंजू का करियर नई ऊंचाईयों पर पहुंचा। सच कहें तो अंजू ने अपनी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता से देश का मान बढ़ाया। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने कहा कि आईएएएफ विश्व चैम्पियनशिप (पेरिस 2003) में भारत की एकमात्र पदक विजेता, आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता और अपने शानदार करियर के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली अंजू देश की सबसे प्रेरणादायी ट्रैक एवं फील्ड स्टार हैं। अंजू ओलम्पिक खेल 2004 में छठे स्थान पर रही थीं। उन्होंने तब 6.83 मीटर कूद लगाई थी। अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित किये जाने के बाद अंजू को 2007 में पांचवां स्थान दिया गया था।