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आठ साल बाद राष्ट्रीय खेलों में संजीता को हराया खेलपथ संवाद अहमदाबाद। आठ साल पहले संजीता चानू 48 भार वर्ग में देश की नंबर एक लिफ्टर थीं। मीराबाई चानू तब उन्हें हराने का सपना देखती थीं। 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में संजीता ने मीरा को हराकर स्वर्ण भी जीता। तब मीरा अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत ही जीत पाईं। इसके बाद संजीता और मीरा कभी एक भार में एक साथ नहीं खेलीं। मीरा के बढ़ते प्रभाव को देख संजीता 55 किलो भार वर्ग में चली गईं। दोनों ने 2018 के गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में अपने भार वर्गों में स्वर्ण जीते, लेकिन आठ साल बाद 36वें राष्ट्रीय खेलों में दोनों लिफ्टर एक ही राज्य मणिपुर के लिए 49 भार वर्ग में आमने-सामने थीं। यहां मीरा ने संजीता पर श्रेष्ठता दर्ज करते हुए 191 किलो वजन उठाकर स्वर्ण जीता। संजीता 187 किलो के साथ रजत जीत सकीं। मीरा को अंतिम लिफ्ट उठाने की नहीं पड़ी जरूरत संजीता ने स्नैच में पहली लिफ्ट में 80 और दूसरी में 82 किलो वजन उठाया। 84 किलो का उनका तीसरा प्रयास फाउल करार दिया गया। मीरा ने पहली लिफ्ट 81 और दूसरी 84 की उठाई। तीसरी लिफ्ट उन्होंने उठाने की जरूरत नहीं समझी। मीरा ने बताया कि अमेरिका से लौटने के बाद एनआईएस पटियाला में उनकी कलाई में हल्की चोट आ गई थी, इस लिए वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं। क्लीन एंड जर्क में संजीता ने 95, 100 और 105 किलो वजन उठाया, जबकि मीरा ने 103 और दूसरी में 107 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पक्का कर लिया। तीसरी लिफ्ट उठाने की उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ी। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने वाली मीरा ने तब से अभ्यास नहीं किया है। अमेरिका में भी वह अपनी पुरानी चोट से उबरने में लगी थीं। यहां बिना अभ्यास के ही उन्होंने भाग लिया। उड़ीसा की स्नेहा सोरेन ने 169 किलो केसाथ कांस्य जीता। मणिपुर की रानीबाला 55 किलो में बनीं विजेता पुरुषों के 61 किलो में अरुणाचल प्रदेश के चारू पेसी ने 259 किलो के साथ स्वर्ण। सेना के मुन्ना नायक ने 255 के साथ रजत जीता। महिलाओं की 55 किलो में मणिपुर की रानीबाला देवी ने 188 किलो के साथ स्वर्ण और चंडीगढ़ की वीरजीत कौर ने 180 किलो के साथ रजत जीता।