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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते मेडल, मानवता की सेवा को माना धर्म खेलपथ संवाद कांगड़ा। बैजनाथ के रहने वाले हरजीत युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। हरजीत जिला कांगड़ा तहसील बैजनाथ की ग्राम पंचायत धानग के गांव बडुआँ के रहने वाले हैं। किसान परिवार में जन्मे हरजीत कुमार को बचपन से ही पढ़ाई के साथ कराटे से लगाव रहा। हरजीत विश्वविख्यात खिलाड़ी तथा अभिनेता ब्रूस ली की फिल्मों से प्रेरित होकर कराटे के अच्छे खिलाड़ी बनकर देश का नाम विश्व पटल पर चमकाने की तमन्ना रखते थे। हरजीत की यह तमन्ना वर्ष 2016 तथा 2017 में जोहांसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) तथा फ्लोरिडा (संयुक्त राज्य अमेरिका) में क्रमश: रजत एवं कांस्य पदक जीतकर पूरी हुई। हरजीत का खिलाड़ी बनने तक का सफर आसान नही था। सन 2002 में पारिवारिक समस्याओं के चलते, पढ़ाई बीच में छोड़कर, सर्विस सेंटर में सहायक की नौकरी करनी पड़ी। उसी दौरान साथियों से एक सुयोग्य प्रशिक्षक की जानकारी मिली। उस प्रशिक्षक से 20 दिन का प्रशिक्षण लेने के बाद हरजीत गाजियाबाद में नॉर्थ इंडिया यतोसे चैलेंज डू खेलने गए, जहां पर उन्होंने पहला ब्रांज मेडल जीता। पदक जीतने के बाद भी घरेलू स्तर पर उनके सामने ज्यादा बड़ी चुनौतियाँ थीं। हरजीत को माताजी की बीमारी के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी। इस सबका असर उनके खेल जीवन पर भी पड़ा। अपनी जीवन संगिनी की प्रेरणा से वर्ष 2014 में द्वितीय डॉ. बीआर अम्बेडकर राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में उन्हे स्वर्ण पदक मिला। इसके बाद हरजीत ने दिल्ली में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय मार्शल आर्ट्स गेम्स-2016 में स्वर्ण पदक जीतकर दसवीं विश्व मार्शल आर्ट्स गेम्स-2016, (दक्षिण अफ्रीका) प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए। आर्थिक तौर पर अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हरजीत के लिए यह राह आसान नहीं थी। प्रतियोगिता के लिए धन की आवश्यकता पड़ने पर उन्हें बैजनाथ,पपरोला,पालमपुर शहरों की सभी दुकानों और आसपास के स्कूलों में आर्थिक मदद मांगनी पड़ी। यह खुशी की बात है कि स्कूल के बच्चों और मजदूरों ने प्रसन्नतापूर्वक अपना योगदान दिया। वहीं कुछ लोगों ने ताने भी मारे कि भिखारियों को पैसे क्यूँ दें। देश का नाम रोशन करके क्या मिलेगा? बहुत देखे हैं हमने क्या मिला उनको? लेकिन इस सबसे बेपरवाह हरजीत को मात्र यही स्मरण था कि कैसे भी करके देश का नाम रोशन किया जाए। हरजीत की लगन, काबिलियत और दृढ़ संकल्प को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के नामी मीडिया समूह ने लगातार दो महीने तक हरजीत की बात आमजन तक पहुंचाई। नतीजतन बहुत से लोग सहायता के लिए आगे आए और हिमाचल का यह सितारा दक्षिण अफ्रीका में रजत पदक जीतकर, देश और प्रदेश की रोशनी पूरी दुनिया में बिखेर आया। दूसरे विश्व मार्शल आर्ट्स खेलों के समय फोकस हिमाचल मीडिया समूह, समाज सेवी संस्था गोद,हिमाचल व राष्ट्रीय स्तर के कवियों ने हरजीत कुमार के खेल के सपने को पूरा करने के लिए सहायता की। हरजीत खेल ही नहीं सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी कोरोना काल के समय निफ़ा हिमाचल (सामाजिक संस्था) के अंतर्गत, प्रशासन के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े और पहले क्वारंटीन केंद्र राधा स्वामी सत्संग परौर में कई महीनों तक नि:शुल्क सेवाएँ दीं। इसी दौरान उनके बड़े भाई स्वर्ग सिधार गए। तब भी हरजीत ग्रामीण अंचल में सैनिटाइजऱ का छिड़काव करने के साथ लोगों को कोविड से बचाव के प्रति जागरूक करते रहे। वह स्वयंसेवियों के साथ मिलकर, प्रशासन व जनता के बीच सेतु का कार्य करते रहे। कोरोना की दूसरी लहर में टीम टेन और सार्थक संस्था की एम्बुलेंस चलाकर कोरोना मरीजों को उनके घर से अकेले ही डॉ. आर.पी. मेडिकल कॉलेज टांडा, सिविल अस्पताल कांगड़ा,सिविल अस्पताल धर्मशाला, आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला,सिटी अस्पताल कांगड़ा,सिटी केयर अस्पताल गगल,फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में पहुंचाकर जान बचाई। जिन मरीजों का कोरोना से देहावसान हुआ उनके पार्थिव शरीरों को एम्बुलेंस में अकेले ही श्मशान घाट तक पँहुचाया। आपातकालीन परिस्थितियों में हरजीत ने 18 बार रक्तदान कर मानवीय उदाहरण पेश किया। कई युवाओं ने इनसे प्रेरित होकर रक्तदान प्रारंभ किया। कोरोना काल के दौरान दी गई सेवाओं के लिए निफ़ा संस्था तथा जि़ला प्रशासन के सौजन्य से महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के करकमलों से हरजीत सम्मानित किए गए। हरजीत कुमार की कहानी एक साधारण युवा के असाधारण साहस, परिश्रम और लगन की कहानी है। जीवन की विकट परिस्थितियों को मात देते हुए विश्व पटल पर देश व प्रदेश की कीर्ति पूरे विश्व में फैलाकर हरजीत युवाओं के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। हरजीत हमें यह याद दिलाते हैं कि कठिन परिश्रम व लगन से जीवन की कठिनतम परिस्थितियों को पार करके भी विजयश्री प्राप्त की जा सकती है।