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मुंबई मैराथन और इंदिरा मैराथन में हिस्सा लेगी रायबरेली एक्सप्रेस सुधा ने पांच बार जीती है मुंबई मैराथन खेलपथ संवाद रायबरेली। देश को एशियाई खेलों में 3000 मीटर स्टीपलचेज का स्वर्ण और रजत पदक दिलाने वाली एथलीट रायबरेली एक्सप्रेस सुधा सिंह ने ट्रैक को अलविदा कह दिया है। सुधा ने यह फैसला बीते माह साई बैंगलुरु में राष्ट्रीय शिविर में रहने के दौरान लिया, जिसे अब उन्होंने सार्वजनिक कर दिया है। सुधा का कहना है कि वह अब ट्रैक पर दौड़ती हुई कभी नजर नहीं आएंगी, लेकिन मैराथन में भाग लेती रहेंगी। सुधा कहती हैं कि अगर समय अच्छा निकला तो वह मैराथन के लिए अगले वर्ष होने वाली एशियाई खेलों की टीम में शामिल होने का भी प्रयास करेंगी। फिलहाल वह अपने फेवरेट मुंबई मैराथन और प्रयागराज में होने वाली इंदिरा मैराथन में शिरकत करेंगी। अपनी एकेडमी खोलेंगी सुधा के मुताबिक 26 अगस्त को जब वह बैंगलुरु से लौटीं तो वहां के निदेशक को यह बताकर आईं कि अब वह ट्रैक पर नहीं दौड़ेंगी। वह 2007 से राष्ट्रीय शिविर में थीं। अब उनका मकसद रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी, जहां वह बतौर खेल अधिकारी तैनात हैं और अपनी अकादमी में अपने जैसे एथलीट निकालना चाहती हैं। सुधा के मुताबिक वह अपनी अकादमी रायबरेली या अमेठी में खोलना चाहती हैं। अकादमी की जमीन के लिए वह जल्द राज्य सरकार से आवेदन करेंगी। याद है एशियाड स्वर्ण के बाद कोच की डांट सुधा कहती हैं कि अब वह 36 साल की हो गई हैं। 1998 में उन्होंने एथलेटिक्स शुरू किया था। लम्बा समय हो गया था, इसे विराम तो देना ही था, लेकिन उनके कॅरिअर का सर्वश्रेष्ठ क्षण गुआंगझू एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतना रहा। उन्हें याद है कि वह फाइनल लैप में सबसे पीछे छल रही थीं। कोच निकोलाई ने उन्हें चिल्लाकर कहा कि उन्हें लीड लेनी है। कोच की डांट के बाद उन्हें अंतिम 200 मीटर में फर्राटा भरना था, लेकिन उन्होंने 300 मीटर में ही तेजी पकड़ ली। अंत में वह फोटो फिनिश में स्वर्ण जीतने में सफल रहीं, लेकिन कोच खुश नहीं थे। उन्हें लगातार सुनाते जा रहे थे, क्यों कि उन्होंने समय उनकी इच्छानुसार नहीं निकाला था। वह समय याद आता है। सुधा के मुताबिक वह शुरुआत में फ्लैट 3000 मीटर दौड़ती थीं, लेकिन रेलवे में उनकी कोच मधु ने उन्हें स्टीपलचेज शुरु कराई। हालांकि वह इसके लिए राजी नहीं थी, लेकिन कोच की सख्ती के बाद उन्होंने ऐसा किया। मैराथन में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 2 घंटे 35.35 मिनट का है, जो उन्होंने 2015 की बीजिंग विश्व चैंपियनशिप में निकाला था। वह यहां 19वें स्थान पर रही थीं। सुधा पांच बार मुंबई मैराथन की विजेता हैं।