News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
क्रिकेट की तीनों शैलियों में अपने पहले शिकार क्लीन बोल्ड किए खेलपथ संवाद नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पहली बार शून्य पर आउट करने वाले, क्रिकेट की तीनों शैलियों में अपने पहले शिकार को क्लीन बोल्ड करने वाले और तीनों शैलियों में पांच-पांच विकेट लेने का कारनामा करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार सिंह ने हाल ही में एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में केवल चार ओवर में पांच विकेट लेकर टी20 क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने का कीर्तिमान भी अपने नाम कर लिया। अफगानिस्तान के खिलाफ इस शानदार प्रदर्शन के बाद टी20 इंटरनेशनल में भुवी के 84 विकेट हो गए हैं। वह यजुवेंद्र चहल को पीछे छोड़कर टी20 इंटरनेशनल में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं और एक से ज्यादा बार पांच विकेट झटकने वाले भी वह पहले भारतीय गेंदबाज बन गए हैं। भुवनेश्वर के पिता किरण पाल सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक रहे और मां इंद्रेश घर संभालती थीं। उनके पिता अपने पुत्र के क्रिकेट के शौक को पूरा करने के लिए चाहकर भी समय नहीं निकाल पाते थे और मां को खेल के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। ऐसे में उनकी बड़ी बहन रेखा ने खेल के प्रति उनके जज्बे को पहचाना और वह 12 साल की उम्र में उन्हें कोचिंग के लिए लेकर जाती थीं। 22 साल की उम्र में भारत की टी20 टीम में चुने जाने पर उत्तर प्रदेश के इस हरफनमौला क्रिकेटर ने टीम इंडिया में पहुंचने की अपनी उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी बहन को भी धन्यवाद दिया था। भुवी बताते हैं कि क्रिकेट का शौक तो उन्हें बचपन से ही था और पार्क में अक्सर वह दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करते थे। 12-13 साल की उम्र में उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने तय किया कि अब गली मोहल्ले में खेलने की बजाय स्टेडियम में जाकर खेलना होगा। स्थानीय स्टेडियम घर से सात-आठ किलोमीटर के फासले पर था। शादी के बाद दिल्ली में बस गईं भुवनेश्वर की बहन रेखा अघाना ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, ‘क्रिकेट के प्रति उसकी दीवानगी को देखकर मैंने उसे आगे बढ़ाने का फैसला किया और उसे कोचिंग के लिए स्टेडियम ले जाने लगी। मैं उसके कोच के साथ उसकी गेंदबाजी पर लगातार बात करती थी। हमारे पिता की नौकरी तबादले वाली थी और मैं हमेशा इस कोशिश में रहती थी कि हम चाहे जहां भी रहें, भुवनेश्वर को क्रिकेट से जुड़ी तमाम सुविधाएं मिलती रहें।’ पांच फरवरी 1990 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे भुवी के अनुसार उनके घरवाले शुरू में उनके क्रिकेट खेलने के खिलाफ थे। उनका मानना था कि पढ़-लिखकर ही जीवन में आगे बढ़ने के मौके हासिल होते हैं, लिहाजा उन्हें पढ़ाई को पूरा समय देने के बाद ही क्रिकेट खेलने की इजाजत थी। गेंद को विकेट के दोनों तरफ स्विंग कराने वाले दुनिया के चंद गिने-चुने गेंदबाजों में शुमार भुवनेश्वर कुमार को कई बार चोट लगने के कारण टीम से बाहर होना पड़ा। इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि शुरू में उनकी गेंदें स्विंग तो होती थीं, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा तेजी नहीं होती थी। उनके अनुसार, ऐसे में बल्लेबाज कुछ समय बाद उनकी गेंदों को भांप जाते थे, लिहाजा उन्होंने अपनी गेंदों की गति बढ़ाने का फैसला किया और इस पर बहुत मेहनत की।