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2004 में बिना खेल कराए ही हड़पे 12 लाख
कई खेल संघों में मेहता और उनके परिवार का दखल
खेलपथ संवाद
गोपेश्वर (उत्तरांचल)। भारतीय ओलम्पिक संघ के पदाधिकारियों की करतूतों से देश शर्मसार हो रहा है लेकिन इन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। 28 अगस्त को एक राष्ट्रीय महिला हैंडबॉल खिलाड़ी ने जहां आईओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पर यौन शोषण की प्राथमिकी दर्ज कराई थी वहीं सात सितम्बर को उत्तरांचल के जिला चमोली के खेलप्रेमियों ने आईओए के महासचिव राजीव मेहता पर गोपेश्वर में भ्रष्टाचार की प्राथमिकी दर्ज कराकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
खेलप्रेमियों ने राजीव मेहता को अव्वल दर्जे का भ्रष्ट करार देते हुए 2004 में उत्तराखंड में हुई प्रथम राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का मय प्रमाण खुलासा किया है। मेहता ने यह सब तब किया था जब वे उत्तरांचल ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष थे। खेलप्रेमियों का कहना है कि राजीव मेहता द्वारा फर्जी टीमों को बनाकर फर्जी खिलाड़ियों को दर्शाकर कागजों में गेम्स कराए गए और करोड़ों के वारे-न्यारे किए गए।
बुधवार को खेलप्रेमियों द्वारा सभी दस्तावेजों को पेश करते हुए जहां गोपेश्वर में एक प्रेसवार्ता की गई वहीं इसके बाद चमोली के गोपेश्वर थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई। खेलप्रेमियों ने बताया कि 2004 में गोपेश्वर (चमोली) की जिम्नास्टिक, आर्चरी और स्वीमिंग टीमों को राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में शिरकत करने का हवाला दिया गया जबकि इस जिले में इन खेलों का तब आगाज भी नहीं हुआ था।
भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता पहली बार चर्चा में नहीं आए हैं, इनकी करतूतों से 2014 ग्लासगो कॉमवेल्थ गेम्स में भी भारत की छवि धूमिल हुई थी। ‘मैनेजमेंट’ में माहिर पेट्रोल व्यवसायी मेहता का कई खेल संघों पर कब्जा रहा है। कई खेल संघों की कमान परिजनों को थमा रखी है। हल्द्वानी निवासी राजीव मेहता राज्य गठन के बाद प्रदेश के खेल फलक पर तेजी से उभरे। मेहता ने जल्द ही प्रदेश के अधिकतर खेल संघों पर दबदबा बना लिया। फुटबाल, हॉकी, खो-खो की स्टेट फेडरेशन में पदाधिकारी बने। कुछ समय बाद उत्तराखंड ओलम्पिक संघ का अध्यक्ष भी बन गए।
इसके बाद मेहता ने अपने कदम राष्ट्रीय स्तर तक पसार लिए। इस बीच, अपनी पत्नी को भी उत्तराखंड स्वीमिंग और वूमेन क्रिकेट एसोसिएशन में पदाधिकारी बनवाया। सूत्रों की मानें तो हॉकी, फुटबॉल समेत कई अन्य खेल संघों में भी मेहता के परिवार का ही दखल है। इनमें से कई खेलों की राज्यस्तरीय चैम्पियनशिप आज तक नहीं हो सकी हैं। वर्ष 2004 में हुए पहले उत्तराखंड स्टेट गेम्स में राजीव मेहता पर पहले भी घपले के आरोप लगे थे लेकिन तब उन्होंने मामला रफा-दफा करवा लिया था। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से सामने आया कि राज्य सरकार ने आयोजन के लिए उत्तराखण्ड ओलम्पिक संघ को 15 लाख रुपए दिए थे। आरोप है कि इसमें से 12 लाख रुपए मेहता ने अपने और पत्नी दीप्ती मेहता के खातों में ट्रांसफर करा दिए। इसके बाद स्टेट ऑडिट ने 16 पेज की रिपोर्ट तैयार की और उसमें मेहता को दोषी माना।
भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता ने अपना खेलों का सफर क्रिकेट से शुरू किया लेकिन वह क्रिकेट छोड़कर हर खेल में माहिर हैं। आनंदेश्वर पांडेय की तरह ही राजीव मेहता भी कई खेल संगठनों में काबिज हैं। हमारे देश में स्पोर्ट्स कोड की धज्जियां इन जैसे लोग ही उड़ा रहे हैं। राजीव मेहता ने पहली बार 1978 में बल्ला थामा था और लगभग नौ साल तक क्रिकेट खेली, ये फिर क्रिकेट कोच भी बने। क्रिकेट के बाद हॉकी, फुटबाल और अन्य खेलों से भी इनका जुड़ाव हो गया। यह कुछ समय तक हॉकी टीम के कोच भी रहे।
इनको खेलों का असली सुख उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मिला। उत्तराखंड अलग राज्य बनते ही यह वहां के ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष बन गए। इसी साल उन्हें भारतीय ओलम्पिक संघ का महासचिव चुना गया। राजीव मेहता यूं तो खेल जगत में काफी मशहूर हैं, मगर खेलों के अलावा उनके और भी धंधे हैं। ओलम्पिक संघ के महासचिव प्रापर्टी डीलिंग, गैस एजेंसी और कंस्ट्रक्शन का भी काम करते हैं। रुद्रपुर में उनकी एक गैस एजेंसी भी है, जबकि नैनीताल में उन्होंने कुमाऊं यूनिवर्सिटी के सामने बिल्डिंग बनाकर बेची है। इसके अलावा कई जगह इनकी प्रापर्टी भी हैं।
राजीव मेहता का उत्तराखंड के खेलों में काफी दबदबा है। ओलम्पिक संघ हो, फुटबॉल फेडरेशन या हॉकी एसोसिएशन, कभी भी उन्हें चुने जाने के लिए चुनाव नहीं हुआ। राजीव मेहता आज भले ही बड़े मुकाम पर हों, मगर राज्य बनने से पहले उनका नाम शायद ही किसी ने सुना हो। राज्य बनने के बाद अचानक यह सुर्खियों में आए और नाम होता चला गया। धीरे-धीरे उनका कद और प्रतिष्ठा भी बढ़ती चली गई। 2004 में हुए उत्तराखंड स्टेट गेम्स में राजीव मेहता विवादों में आए थे। उन पर घोटाले के आरोप लगे यहां तक कि विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद मामला जांच के लिए तत्कालीन कमिश्नर कुमाऊं मंडल राकेश शर्मा को सौंपा गया था, लेकिन उन्होंने जांच के बाद राजीव मेहता को क्लीन चिट दे दी थी। जबकि खेलप्रेमियों ने प्रेसवार्ता के दौरान जो दस्तावेज मीडिया को सौंपे हैं, वे चीख-चीख कर मेहता के कसूरवार होने का संकेत दे रहे हैं।