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मामला लाहौर के एक निजी अस्पताल की दादागिरी का पाकिस्तान हॉकी महासंघ ने अस्पताल को दिए पैसे लाहौर। पाकिस्तान के लाहौर में एक निजी अस्पताल की दादागिरी से इंसानियत शर्मसार हो गई। सोमवार को अस्पताल प्रबंधन ने पाकिस्तानी ओलम्पियन और हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मंजूर हुसैन का शव सौंपने से इनकार कर दिया। मंजूर हुसैन की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। अस्पताल ने पैसों के लिए उनके शव को कई घंटों तक परिजनों को नहीं सौंपा। पाकिस्तान हॉकी महासंघ ने अस्पताल को पैसे दिए। उसके बाद मंजूर हुसैन के शव को अस्पताल ने दिया। मंजूर जूनियर के नाम से मशहूर हुसैन 1976 और 1984 के ओलम्पिक में क्रमश: कांस्य और स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। वह 1978 और 1982 में विश्व कप जीतने वाली हॉकी टीमों का भी हिस्सा थे। 64 वर्षीय हुसैन दिल की बीमारी से पीड़ित थे और उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद सोमवार तड़के उन्हें अस्पताल ले जाया गया। ओलम्पियन को लाहौर के शालीमार अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका निधन हो गया। पाकिस्तान की पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''अस्पताल प्रबंधन ने कई घंटों तक चिकित्सा बकाया का भुगतान न करने के लिए दिग्गज खिलाड़ी के शव को रोक दिया। बाद में पाकिस्तान हॉकी महासंघ (पीएचएफ) ने इस मामले का संज्ञान लिया और शव को उनके परिवार को सौंपने के लिए अस्पताल को 5,00,000 पाकिस्तानी रुपये (2,266 अमेरिकी डॉलर) के भुगतान की व्यवस्था की।'' अधिकारी ने कहा कि यह सभी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की बात है कि एक महान ओलम्पियन का निधन हो गया और उनके शरीर को अस्पताल ने बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर रोक दिया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट किया कि उनके निधन पर उन्हें गहरा दुख हुआ है। उन्होंने कहा, "स्वर्ण पदक विजेता मंजूर हुसैन जूनियर देश के लिए एक सम्पत्ति थे और पाकिस्तान हॉकी के लिए उनकी सेवाएं अविस्मरणीय रहेंगी।''