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गुरजंट का परिवार बोला- हार-जीत मायने नहीं रखती खेलपथ संवाद अमृतसर। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल देश की झोली में डाला। चाहे भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से हारी हो, लेकिन टीम को सिल्वर मेडल तक पहुंचाने वाले खिलाड़ियों के लिए यह गोल्ड से कम नहीं है। पंजाब के अमृतसर में जंडियाला गुरु के गांव खलैरा में पले-बढ़े गुरजंट सिंह के परिवार का कहना है कि भारतीय टीम एक कदम ऊपर आई है। अगली बार गोल्ड पक्का है। गुरजंट सिंह के चाचा हरजिंदर सिंह ने बताया कि महज 8 साल की उम्र में वह हॉकी स्टिक को कंट्रोल करना सीख गया था। मामा हरदेव सिंह हॉकी में रुचि रखते थे। गुरजंट उनके पास छुटि्टयां बिताने गया। बटाला में ग्राउंड में बच्चों का खेल देखते उसमें भी हॉकी खेलने की इच्छा जाहिर की। 8 साल की उम्र में उसने शाहबाद हॉकी अकादमी में एडमिशन ले ली। इसके बाद हॉकी उसकी हमसफर बन गई। दादा मोहिंदर सिंह ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंच कर हार-जीत मायने नहीं रखती। प्लेयर्स ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है। उनके लिए भारतीय टीम की तरफ से जीता गया सिल्वर ही गोल्ड के बराबर है। चाचा हरजिंदर सिंह का कहना है कि मैच से काफी आस थी, लेकिन हमेशा एक ही टीम को जीतना होता है। ऑस्ट्रेलिया ने काफी अच्छा खेला और उनका फल उन्हें मिला। भारतीय टीम में थोड़ी कोऑर्डिनेशन की कमी देखने को मिली, लेकिन कोई बात नहीं। अगली बार जीत भी मिलेगी। चाचा हरजिंदर सिंह ने कहा कि भारतीय हॉकी टीम की मेहनत का फल उन्हें जरूर मिलना चाहिए। ओलम्पिक में जीत के समय पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों को नौकरी का वादा किया गया था, लेकिन यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ। गुरजंट जब पंजाब आया था तो वह सीएम भगवंत मान से मिला था। उन्होंने वादा किया था कि जल्द ही उनकी नौकरी का सपना पूरा होगा। अब आस है कि गुरजंट की मेहनत उसे मिल जाए।