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देश में रांची से ही शुरू हुआ लॉन बॉल्स खेल यहीं की दो बेटियों ने दक्षिण अफ्रीका को दी शिकस्त खेलपथ संवाद रांची। आज हर भारतवासी की जुबां पर लॉन बॉल खेल की ही चर्चा है। चर्चा होनी भी चाहिए आखिर इस गुमनाम खेल को इससे पहले शायद ही कोई भारतीय जानता रहा हो। दरअसल, देश में लॉन बॉल्स की शुरुआत करने का श्रेय ही रांची को जाता है और अब कॉमनवेल्थ 2022 गेम्स में रांची की ही दो बेटियां लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया। उनके साथ पिंकी और नयनमोनी सैकिया ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कॉमनवेल्थ गेम्स के 92 साल के इतिहास में पहला मौका है, जब लॉन बॉल्स में भारत ने कोई मेडल जीता है। मंगलवार को महिला लॉन बॉल्स के फाइनल में भारत ने द. अफ्रीका को 17-10 से हराकर गोल्ड अपने नाम कर लिया। फाइनल में भारत एक समय 8-2 से आगे था, पर अफ्रीका ने 8-8 से बराबरी कर ली। आखिरी तीन राउंड में भारतीय टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन कर जीत हासिल की। बता दें कि 1930 से कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हुई। पहले टूर्नामेंट से ही लॉन बॉल्स इसका हिस्सा है। भारत ने 2010 में दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा लिया था, पर कोई मेडल नहीं जीत पाया था। पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान एमएस धोनी भी लॉन बॉल्स के प्रशंसक रहे हैं। रांची में जब भी उन्हें समय मिलता था वो स्टेडियम जाकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते थे। लवली बताती हैं कि दिन में ड्यूटी, शाम को पांच घंटे की प्रैक्टिस यही सफलता का राज है। झारखंड पुलिस में कांस्टेबल लवली चौबे ने कांके स्थित अपने घर पर फोन कर सबसे पहले अपने मां-बाप से बात की और रोने लगीं। लवली ने कहा कि 14 साल की मेहनत आज रंग लाई है। ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया जीत ली हो। बताया कि दिन में ड्यूटी करती और शाम में पांच घंटे प्रैक्टिस। कमर दर्द इतना होता कि झुक नहीं पाती थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। रूपारानी तिर्की ने बताया कि पोडियम पर खड़े होकर राष्ट्रगान गाने की अनुभूति को शब्दों में बयां करना संभव नहीं है। खुश हूं कि 15 साल की कड़ी मेहनत का आज शानदार परिणाम मिला है। इसी पल का इंतजार था। इस मुकाम तक मुझे पहुंचाने में साथ देने वालाें का आज मैं शुक्रिया अदा करती हूं। खासकर अपने कोच मधुकांत पाठक का।