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वनडे के बाद टेस्ट क्रिकेट में बदल रहा अंदाज नई दिल्ली। भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के पांचवें मुकाबले में इंग्लैंड ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। 378 रन के बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने शानदार खेल दिखाया और सात विकेट के अंतर से यह मैच जीता। इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में भी इंग्लैंड ने लगातार तीन मैच जीते थे। बेन स्टोक्स की अगुआई में इंग्लैंड ने भारत और न्यूजीलैंड के खिलाफ जिस तरह का खेल दिखाया है, वह टेस्ट क्रिकेट की नई परिभाषा लिख रहा है। खुद स्टोक्स ने भी भारत के खिलाफ यही बात कही है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एशेज सीरीज में करारी हार के बाद इंग्लैंड क्रिकेट में कई बदलाव किए गए। क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष से लेकर टीम के कोच कप्तान तक सब कुछ बदल गया। ब्रेंडन मैक्कुलम के कोच बनने के बाद इंग्लैंड की टीम अलग अंदाज में खेली है। इसी वजह से यह टीम लगातार चार मैच जीत चुकी है और वनडे के बाद टेस्ट खेलने का नया अंदाज सबके सामने रखा है। 2015 विश्व कप में इंग्लैंड की टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा था। टीम लीग स्टेज में ही हारकर बाहर हो गई थी। इसके बाद इयोन मॉर्गन को टीम का कप्तान बनाया गया और इंग्लैंड की वनडे टीम पूरी तरह बदल गई। पुराने खिलाड़ियों के खेलने का अंदाज बदल गया। इंग्लैंड के लिए 300 से ज्यादा का स्कोर बनाना मुश्किल होता था, लेकिन अब यही टीम पांच बार 400 से ज्यादा का स्कोर बना चुकी है। वनडे के तीन सबसे बड़े स्कोर इंग्लैंड के ही नाम हैं और ये सभी स्कोर 2016 से 2022 के बीच बने हैं। आमतौर पर वनडे क्रिकेट में सभी टीमें पावरप्ले में तेजी से रन बनाती थीं और बीच के ओवरों में विकेट बचाकर बल्लेबाजी करती थीं। अंत के ओवरों में विकेट हाथ में रहते थे तो रन तेजी से बनते थे और एक अच्छा स्कोर बन जाता था। गेंदबाजों के पास इसका बचाव करने का मौका रहता था। मॉर्गन की कप्तानी में इंग्लैंड ने यह तरीका बदला और पहले ही ओवर से लगातार आक्रामक बल्लेबाजी करना शुरू किया। बीच के ओवरों में भी इंग्लैंड के बल्लेबाज आक्रामक बल्लेबाजी करते रहे और एक अच्छे स्कोर की पैमाना बदल गया। अब इंग्लैंड की टीम अक्सर 300 से ज्यादा या 400 के करीब स्कोर बनाती है, जिसका पीछा करने में विपक्षी टीम के बल्लेबाजों को बहुत परेशानी होती है। अधिकतर टीमें इतने बड़े स्कोर के दबाव में आ जाती हैं और पहली पारी के बाद ही इंग्लैंड लगभग मैच जीत चुका होता है। अब यह टीम टेस्ट खेलने का अंदाज भी बदल रही है। ब्रेंडन मैक्कुलम के कोच और बेन स्टोक्स के कप्तान बनने के बाद इंग्लैंड ने चार टेस्ट खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है। खास बात यह है कि अब यह टीम लक्ष्य का पीछा करना पसंद करती है, जबकि टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी की बढ़त को हमेशा से निर्णायक माना जाता रहा है। भारत में रणजी मुकाबलों का नतीजा भी कई बार पहली पारी की बढ़त के आधार पर तय होता है, लेकिन इंग्लैंड ने इस आधार को बदला है। पिछले चार मैचों में इस टीम ने लगातार चार रन प्रति ओवर की गति से रन बनाए हैं। चौथी पारी में 250 या उससे ज्यादा का लक्ष्य मिलने पर आसानी से उसका पीछा किया है। इंग्लैंड के बल्लेबाज जिस तेजी से रन बनाते हैं, उनके लिए पिच ज्यादा मायने नहीं रखती। लगातार बड़े शॉट खेलने से गेंदबाज की लय बिगड़ जाती है और जब वह सही टप्पे पर गेंदबाजी नहीं करता तो उसे पिच से भी कोई मदद नहीं मिलती है। इसी वजह से मैच की चौथी पारी में बल्लेबाजी करने के बावजूद इंग्लैंड आसानी से 378 रन का लक्ष्य चेज कर गया। इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ भी आसानी से लक्ष्य का पीछा किया था। क्या बदल जाएगा टेस्ट खेलने का तरीका? इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में भारतीय टीम ने भी काफी तेजी से रन बनाए थे। खासकर ऋषभ पंत ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की थी, लेकिन उनके खेलने का अंदाज वही है। भारत के बाकी खिलाड़ी अपना समय लेकर बल्लेबाजी कर रहे थे और आसानी से रन बना रहे थे, लेकिन आने वाले समय में ये चीजें बदल सकती हैं। हालांकि, इंग्लैंड की टीम अभी अपने घर में ही खेल रही है। अगर एशियाई पिचों में आकर भी यह टीम इसी अंदाज में बल्लेबाजी करती है और सफल रहती है तो बाकी टीमें भी टेस्ट में टी20 वाला अंदाज अपना सकती हैं।