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खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीते पांच स्वर्ण पदक खेलपथ संवाद पंचकूला। बेटियां हर क्षेत्र की तरह खेलों में सर्वश्रेष्ठ हैं। इसे साबित किया है महाराष्ट्र की संयुक्ता काले ने खेलो इंडिया युवा खेलों में। मंगलवार को 16 साल की इस बेटी ने लयबद्ध जिम्नास्टिक में सभी पांच स्वर्ण पदक जीतकर हर किसी को वाह-वाह करने को मजबूर कर दिया। 16 वर्ष की संयुक्ता के ‘क्लीन स्वीप’ करने से महाराष्ट्र जहां पदक तालिका में हरियाणा को पछाड़कर पहले स्थान पर काबिज हो गया वहीं इस बेटी ने आने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भी अपनी मजबूत दावेदारी जता दी है। संयुक्ता ने आल राउंड, हूप, बॉल, क्लब और रिबन लयबद्ध स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मंगलवार को जिम्नास्टिक के मुकाबले खेले गए। इन मुकाबलों में रिदमिक जिम्नास्टिक इवेंट में खेलप्रेमी उस समय हैरान रह गए, जब महाराष्ट्र की 16 वर्षीय जिम्नास्ट संयुक्ता ने एक के बाद एक पांच गोल्ड मेडल अपने नाम किए। पांच स्वर्ण पदक जीतने के बाद संयुक्ता ने बताया कि उनका पहले जिम्नास्टिक में आने का बिल्कुल भी मन नहीं था लेकिन अब उन्होंने सोच लिया है कि दिन-रात मेहनत करके देश के लिए जिम्नास्टिक में गोल्ड मेडल लाना है। उनकी नजरें पेरिस ओलम्पिक पर टिकी हैं। संयुक्ता ने कहा कि ओलम्पिक में भी ऐसे ही खेलते हैं जैसे हम दूसरे टूर्नामेंट्स में खेलते हैं। बस खिलाड़ी उस बड़े नाम का मानसिक दबाव ले लेता है जो उसके मेडल न जीतने की सबसे बड़ी वजह है। खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी बात अपने मानसिक संतुलन को स्थिर रखना होता है, जिसने यह कर लिया वह मेडल जीतने में सफल हो जाता है। संयुक्ता ने बताया कि जब उन्हें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए चुना गया, तो उन्होंने सोचा था कि मेडल तो जीतना है। जिम्नास्टिक के लिए वह मैदान के बाद घर में जाकर भी प्रैक्टिस करती थी। जिस दिन वह यहां पर आई तो उन्होंने मन में ठान ली थी कि गोल्ड मेडल से कम कुछ नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे चैम्पियन बनाने के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को धन्यवाद देती हूं। जिनकी वजह से उन्होंने पांच स्वर्ण पदक जीते। पहला लक्ष्य भारतीय टीम में शामिल होना संयुक्ता ने कहा कि अभी तो यह शुरुआत है। मुझे पता है कि आगे का रास्ता भी अलग होगा और चुनौतियां भीं, लेकिन उसके लिए उसी तरह से तैयारियां करेंगी। उन्होंने कहा कि उनका पहला लक्ष्य भारतीय टीम में शामिल होना है। उसके बाद कामनवेल्थ गेम्स फिर एशियन चैम्पियनशिप, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और आखिर में पेरिस ओलम्पिक खेलना ही उनका अब एकमात्र लक्ष्य है। संयुक्ता ने जिम्नास्टिक से पहले टेनिस, फुटबाल और क्रिकेट सहित कई खेलों में हाथ आजमाया है, लेकिन उनका सफर जिम्नास्टिक पर आकर रुका। जिस समय संयुक्ता गोल्ड मेडल जीत रही थीं उस समय उनकी मां अर्चना काले भी वहीं थीं और उनके चेहरे की मुस्कान के साथ आंखों में खुशी के आंसू बेटी की कामयाबी पर हो रहे गर्व को दर्शा रहे थे।