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पिता बोले- त्याग का फल बहुत मीठा 14 साल घर से दूर रहा शटलर प्रियांशु राजावत खेलपथ संवाद धार। भारतीय बैडमिंटन टीम ने थॉमस कप जीतकर इतिहास रच दिया है। इस कीर्तिमान बनाने वाली टीम का हिस्सा रहे प्रियांशु राजावत की सफलता से न केवल उसके गृहनगर धार बल्कि इंदौर में भी खुशियां मनाई गईं। प्रियांशु के पिता भूपेंद्र राजावत ने कहा कि 14 साल से उनका बेटा घर से दूर है। उसके इसी त्याग का मीठा फल सामने आया है। यूं तो भारतीय टीम की जीत में कई सितारे रहे, लेकिन मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात यह है कि प्रियांशु भी इसी टीम का हिस्सा थे। प्रियांशु मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे और धार के रहने वाले हैं। 20 वर्षीय प्रियांशु ने अमेरिका के विरुद्ध समूह लीग मैच खेला और जीता भी। प्रियांशु चयन मुकाबलों में अव्वल रहकर भारतीय टीम में शामिल हुए थे। इंदौर में जन्मा प्रियांशु इस समय गोपीचंद एकेडमी, हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रहा है। भूपेंद्र राजावत का कहना है कि प्रियांशु साढ़े छह साल का था, तब मध्य प्रदेश सरकार की ग्वालियर स्थित अकादमी में चला गया था। शुरुआती एक साल तो उसकी याद आती थी और आंखों में आंसू आ जाते थे। चिंता भी होती थी। हमने उससे कहा था कि कहीं भी जाए तो टैक्सी ड्राइवर और गाड़ी का फोटो खींचकर भेजा करो। रास्तेभर बातें करते रहते थे। तीन साल बाद वह हैदराबाद स्थित गोपीचंद अकादमी चला गया था। भूपेंद्र का कहना है कि प्रियांशु को आगे बढ़ाने में मां प्रेरणा का बड़ा योगदान है। वह खुद भी फुटबाल खिलाड़ी रही हैं। हमें खुशी है कि हमारे त्याग का मीठा फल हमें मिला। प्रियांशु के पिता ने कहा कि हमें गर्व है कि देश के लिए खेलने वाली टीम में बेटा भी शामिल है। कड़ी मेहनत के दम पर उसने यह मुकाम हासिल किया है। कोर्ट में पसीना बहाने में प्रियांशु कभी कमी नहीं रखता है। बैंडमिंटन कोच एवं पत्रकार धर्मेश यशलहा का कहना है कि भारतीय बैडमिंटन संगठन ने 15 से 20 अप्रैल तक भारतीय टीम के लिए चयन मुकाबले आयोजित किए थे। यदि ऐसा नहीं होता तो प्रियांशु को थॉमस कप और एशियाई खेलों की टीम में जगह नहीं मिलती। उनकी विश्व रैंकिंग 83 है, जबकि भारत के 10 खिलाड़ी उनसे टॉप रैंक करते हैं। यशलहा का कहना है कि धार से कई बैडमिंटन सितारे निकले हैं। समीर वर्मा और सौरभ वर्मा तो विश्व रैंकिंग में टॉप 40 में है। विश्व रैंकिंग में नंबर 27 समीर ने अनफिट होने से और 38 रैंकिंग वाले सौरभ ने आउट ऑफ फॉर्म होने से टीम में शामिल नहीं हो सके थे। उनकी कमी की भरपाई प्रियांशु ने कर दी और कीर्तिमान बनाने वाली टीम का हिस्सा रहे। भारतीय टीम की जीत को लेकर यशलहा की इंदौर स्थित सरताज अकादमी में भी खुशियां मनाई गईं।