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73 साल में पहली बार फाइनल में पहुंची टीम इंडिया श्रीकांत-प्रणय और सात्विक-चिराग चमके बैंकॉक। भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया है। थाईलैंड के बैंकॉक में खेले जा रहे थॉमस कप बैडमिंटन टूर्नामेंट में टीम इंडिया फाइनल में पहुंच गई है। 73 साल के टूर्नामेंट के इतिहास में भारतीय टीम पहली बार फाइनल में पहुंची है। इससे पहले टीम 1952, 1955 और 1979 में सेमीफाइनल में पहुंची थी। टीम इंडिया ने सेमीफाइनल मुकाबले में डेनमार्क को 3-2 से हरा दिया। भारत की जीत में सिंगल्स में किदांबी श्रीकांत, एचएस प्रणय और डबल्स में सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने अहम किरदार निभाया। इन्होंने अपने-अपने विपक्षी के खिलाफ जीत हासिल की। हालांकि, लक्ष्य सेन को वर्ल्ड चैम्पियन विक्टर एक्सेलसेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा। पहले मैच में एक्सेलसेन और लक्ष्य सेन आमने-सामने थे। पहले गेम में एक वक्त स्कोर 5-5 की बराबरी पर था। इसके बाद एक्सेलसेन ने अटैक करना शुरू किया। पहले उन्होंने 11-9 की बढ़त बनाई और फिर स्कोर 17-11 कर दिया। एक्सेलसेन ने पहला गेम 21-13 से जीता। इसके बाद दूसरे गेम में भी एक्सेलसेन ने शानदार प्रदर्शन करना जारी रखा और 12-4 से बढ़त बनाने के बाद 21-13 से गेम और मैच दोनों जीत लिया। इस तरह डेनमार्क ने भारत पर 1-0 की बढ़त बना ली थी। दूसरे मैच सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी का मुकाबला किम एस्ट्रप और मैथियन क्रिश्चियनसन से था। इस डबल्स मैच में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। पहले गेम में एक वक्त स्कोर 5-5 की बराबरी पर था। इसके बाद डेनिश जोड़ी ने भारत पर बढ़त बनाना शुरू किया। इन दोनों ने पहले 11-8 से बढ़त बनाई। हालांकि, चिराग और सात्विक ने जबरदस्त वापसी की और 15-14 से ओवरटेक करने के बाद पहला गेम 21-18 से जीत लिया। दूसरे गेम में एस्ट्रप और क्रिश्चियनसन ने वापसी की और 23-21 से जीत लिया। तीसरे और निर्णायक गेम में सात्विक और चिराग ने वापसी करते हुए गेम और मैच पर 22-20 से कब्जा किया। इसके बाद भारत को बढ़त दिलाने का दारोमदार अनुभवी किदांबी श्रीकांत पर था। हालांकि, उनके लिए यह आसान नहीं था, क्योंकि सामने पूर्व नंबर वन एंडर्स एंटोन्सेन थे। श्रीकांत ने भारतीय फैन्स को निराश नहीं किया। उन्होंने एंडर्स एंटोन्सेन के खिलाफ पहला गेम 21-18 से जीता। दूसरे गेम में एंटोन्सेन ने वापसी की और 21-12 से दूसरा गेम जीत लिया। तीसरे गेम में श्रीकांत ने पूरा दम दिखाया और 21-16 से एंटोन्सेन को हराकर भारत को 2-1 की बढ़त दिला दी। हालांकि, इसके बाद डबल्स का मैच खेला जाना था। डेनमार्क के एंडर्स स्कारूप रैसमुसेन और फ्रेडरिक सोगार्ड की जोड़ी के सामने भारत के विष्णुवर्धन पांजल और कृष्णा गर्ग थे। इन दोनों को डेनिश जोड़ी ने आसानी से लगातार दो सेटों में 21-14, 21-13 से हरा दिया। इस हार से स्कोर 2-2 की बराबरी पर आ गया और सारा दारोमदार क्वार्टरफाइनल में टीम इंडिया को जीत दिलाने वाले एचएस प्रणय पर आ गया। प्रणय के सामने वर्ल्ड नंबर-13 रैसमस जेमके थे। पहले गेम में ही भारत को उस वक्त झटका लगा, जब एक शॉट को रिटर्न करते वक्त प्रणय चोटिल हो बैठे। उस वक्त पहले गेम में जेमके ने 10-4 से बढ़त बना ली थी। इसके बाद प्रणय पूरा मैच चोटिल टखने के साथ खेले। हालांकि, चोटिल टखने के बावजूद प्रणय का हौसला कम नहीं हुआ। पहले गेम में एक वक्त स्कोर 10-10 की बराबरी पर था। फिर जेमके ने 16-11 की बढ़त बनाई और फिर पहला गेम 21-13 से जीत लिया। दूसरे गेम में प्रणय ने जबरदस्त वापसी की। उन्होंने पहले 4-0 और फिर 11-1 की बढ़त बनाई। दूसरा गेम प्रणय ने आसानी से 21-9 से जीत लिया। प्रणय चोटिल होने के बावजूद खेलते रहे और तीसरे गेम में 8-4 और फिर 11-4 की बढ़त बनाई। प्रणय अपने स्मैश से लगातार जेमके को परेशान करते रहे। प्रणय ने धीरे-धीरे जीत की ओर कदम बढ़ाया और तीसरा गेम 21-12 से जीतने के साथ मैच भी जीत लिया। इस तरह टीम इंडिया पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंची। जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने प्रणय को गले से लगा लिया।