News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
खेलपथ संवाद नई दिल्ली। साल 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को आधिकारिक रूप से मदर्स डे के रूप में मान्यता दी थी। वह परंपरा आज भी कायम है। मई माह के दूसरे रविवार को हर साल मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। राजनीति से लेकर सिनेमा और खेल जगत में भी कई महिलाओं ने मां बनने के बाद कमाल का काम किया है। हाल के समय में कई सुपर मॉम्स को खेल के मैदान पर देखा गया है जिन्होंने अपने कौशल से मादरेवतन का मान बढ़ाया है। मैरी कॉम: चार बच्चों की मां मैरी कॉम भारत में एक सुपर मॉम की मिसाल हैं। मैरी कॉम भारत की अब तक की सबसे बेहतरीन मुक्केबाजों में से एक हैं। कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद मैरी कॉम ने 2005 में फुटबॉलर करुंग ओंखोलर से शादी की और दो साल बाद वह जुड़वा लड़कों रेचुंगवार और खुपनेवर की मां बनीं। दो बच्चों की मां बनने के बाद भी मैरी कॉम ने रिंग में वापसी की। उन्होंने 2008 की एशियाई महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। उसी वर्ष उन्होंने चीन में महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में अपना चौथा स्वर्ण पदक जीता। उनका प्रदर्शन लगातार बेहतरीन होता गया और लंदन 2012 ओलम्पिक में उनके हिस्से में कांस्य पदक भी आ गया। 2013 में मैरी कॉम ने अपने तीसरे बेटे प्रिंस चुंगथांगलन को जन्म दिया। इसके बाद एक बार फिर उन्होंने वापसी की और दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं। 2018 में मैरी कॉम ने मेरिलन नाम की एक बेटी को गोद लिया था। संयोग से उसी साल मैरी कॉम ने छठा विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता था। ओलंपिक पदक सहित कई अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां मैरी कॉम के हिस्से में मां बनने के बाद आई। टेनिस में किम क्लिस्टर्स ने अपनी बेटी के जन्म के एक साल बाद यूएस ओपन जीता था। सेरेना विलियम्स ने मां बनने के बाद टेनिस कोर्ट पर धमाकेदार वापसी की थी। तैराक दारा टोरेस ने 41 साल की उम्र में अपने पहले बच्चे को जन्म देने के 16 महीने बाद बीजिंग ओलंपिक में रजत पदक जीता था। भारत में भी ऐसी कई सुपर मॉम्स हैं, जिन्होंने अपने देश को उच्चतम स्तर पर गौरवान्वित किया है। सानिया मिर्जा: भारत की अनुभवी टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा कई नए एथलीटों के लिए रोल मॉडल हैं। उन्होंने छह ग्रैंड स्लैम खिताब (युगल और मिश्रित युगल में) जीते हैं और 2013 में एकल से संन्यास लेने तक भारत की शीर्ष एकल खिलाड़ी भी थीं। 2010 में उन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी की और 2018 में सानिया ने बेटे इजहान को जन्म दिया। बेटे के जन्म के बाद उन्होंने टेनिस कोर्ट पर वापसी की। इसके लिए 26 किलो वजन घटाया। दिसंबर 2019 में सानिया का नाम भारतीय फेड कप टीम में शामिल किया गया। हालांकि, कोर्ट पर वापसी जनवरी 2020 में हुई। उन्होंने होबार्ट इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। अक्टूबर 2017 में मातृत्व अवकाश लेने के बाद यह उनका पहला पेशेवर टेनिस टूर्नामेंट था। उन्होंने फाइनल में शुआई पेंग और शुआई झांग को सीधे सेटों में हराकर अपनी जोड़ीदार नादिया किचेनोक के साथ खिताब जीता था। सानिया का यह 42वां डब्ल्यूटीए युगल खिताब था। दीपिका पल्लीकल: शीर्ष 10 में स्थान पाने वाली पहली भारतीय महिला दीपिका पल्लीकल स्क्वैश में देश की पोस्टर गर्ल हैं। दीपिका ने 2013 में भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक से शादी की। तीन बार राष्ट्रमंडल खेलों और चार बार एशियाई खेलों में पदक जीतने वाली इस खिलाड़ी ने 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों के बाद स्क्वैश से खुद को दूर कर लिया था। 18 अक्टूबर 2021 को दीपिका जुड़वा लड़कों की मां बनीं और 2022 में वापसी का फैसला किया। ग्लासगो में वर्ल्ड डबल्स स्क्वैश चैंपियनशिप में दीपिका पल्लीकल ने तीन साल के लंबे समय के बाद वापसी करते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने जोशना चिनप्पा के साथ महिला युगल का खिताब जीतने से कुछ समय पहले सौरव घोषाल के साथ मिश्रित युगल में स्वर्ण जीता। यह विश्व चैंपियनशिप में भारत का पहला स्वर्ण था। पीटी ऊषा: इस महिला एथलीट को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। भारत के अब तक के सबसे महान स्प्रिंटर्स में से एक पीटी उषा ने लॉस एंजिल्स 1984 में 400 मीटर बाधा दौड़ में भारत का नाम रोशन किया था। उन्हें पदक नहीं मिला था, लेकिन उनका नाम पूरी दुनिया में हो गया था। एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में पीटी ऊषा ने कई पदक जीते। 1991 में पीटी उषा ने वी श्रीनिवासन से शादी की और एक साल बाद उन्हें एक बच्चा हुआ। अगले तीन साल तक उन्होंने खुद को एथलेटिक्स से दूर रखा। 1994 में पीटी ऊषा ने वापसी करने का फैसला किया और अपने पति से ट्रेनिंग ली। उसी साल उन्होंने हिरोशिमा में एशियाई खेलों में भाग लिया और 200 मीटर में चौथे स्थान पर रही। 4x400 मीटर रिले में उन्होंने जी.वी. धनलक्ष्मी, शाइनी विल्सन और कुट्टी सरम्मा के साथ कांस्य पदक जीता। पीटी उषा ने 1998 में जापान में फुकुओका एशियाई चैम्पियनशिप में चार पदक जीतने में कामयाब रहीं। 4x100 मीटर रिले में एक स्वर्ण, 4x400 मीटर रिले में एक रजत और 200 मीटर और 400 मीटर में रजत पदक जीता। कोनेरू हम्पी: भारतीय शतरंज स्टार कोनेरू हम्पी ने 2019 में रैपिड शतरंज विश्व चैम्पियनशिप को अपने नाम किया था। हंगरी की जूडिट पोलगर के बाद 2600 एलो रेटिंग अंक को पार करने वाली दुनिया की दूसरी महिला बनीं। हम्पी ने यह उपलब्धि मां बनने के बाद हासिल की। उन्होंने 2016 से 2018 तक शतरंज से ब्रेक लिया था। एक समय हम्पी जीएम (ग्रैंडमास्टर) टाइटल जीतने वाली सबसे कम की उम्र की महिला थीं। उनका रिकॉर्ड बाद में चीन की होउ यिफान ने तोड़ा था। हम्पी ने एशियाई खेलों 2006 में दो स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय शतरंज को आगे बढ़ाया था। गीता फोगाटः भारत की पहली महिला ओलम्पिक पहलवान गीता फोगाट किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। मां बनने के बाद भी वह अपने कौशल में इजाफा करने को हमेशा बेताब रहती हैं। हम कह सकते हैं कि भारतीय महिला खिलाड़ी मां बनने के बाद भी खेल जगत में अपने पराक्रम और कौशल का जलवा दिखा रही हैं।