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540 करोड़ के खेल बजट का प्रावधान
श्रीप्रकाश शुक्ला
चण्डीगढ़। हरियाणा खेलों में उत्कृष्टता के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। खिलाड़ियों को नौकरी में वरीयता देने के साथ हरियाणा अपने यहां नियमित प्रशिक्षक रख रहा है। प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने के वास्ते सरकार ने खेलों का बजट 540 करोड़ का फैसला लिया है जोकि अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत अधिक है। यहां राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की प्रोत्साहन राशि भी अन्य राज्यों से कहीं अधिक है। सच कहें तो हरियाणा में खेल कागजों में नहीं बल्कि जमीन पर होते हैं, यही वजह है कि यह स्पोर्ट्स का पॉवर हाउस माना जाता है।
खेल एवं युवा मामले के मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए प्रदेश के इतिहास में पहली बार 540 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में छिपी खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। संदीप सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों को तराशने के लिए प्रदेश में 10 डे-बोर्डिंग और 8 आवासीय अकादमी खोली जाएंगी। पंचकूला की तर्ज पर करनाल, हिसार, रोहतक और गुरुग्राम में वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की भी योजना है। यहां पर सरकारी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
खेलों में अपना कॅरिअर बनाने की चाहत रखने वालों के लिए आज हरियाणा पहली पसंद बन गया है। यहां की इनामी राशि और खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाएं इसकी बड़ी वजह हैं। यही कारण है कि पंजाब और चंडीगढ़ के खिलाड़ी भी हरियाणा से खेलने को वरीयता दे रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि या तो खिलाड़ी हरियाणा का मूल निवासी हो या कम से कम पांच साल से प्रदेश में रह रहा हो।
पंजाब में ओलम्पिक पदक विजेता को ढाई करोड़ रुपये मिलते हैं तो चंडीगढ़ में पांच करोड़ रुपये। हरियाणा में यह राशि छह करोड़ रुपये है। पंचकूला से नेशनल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले जूनियर खिलाड़ियों के लिए भी डेढ़ लाख रुपये का प्रावधान है। इसीलिए ज्यादातर खिलाड़ी यहां से प्रतिभागिता करने को लालायित रहते हैं। एक वजह यह भी कि पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में खेल की ज्यादातर सुविधाएं मुहैया करवा दी गई हैं। इस वजह से खिलाड़ियों को यहां अभ्यास करने में काफी सुविधा होती है। पंचकूला के इस स्टेडियम में वुशू, ताईक्वांडो, बाक्सिंग, वॉलीबाल, हॉकी, बैडमिंटन के साथ अन्य खेलों की सुविधाएं हैं।
पंचकूला में नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद तो सेंटर में खिलाड़ियों की बहार आ गई है। यहां स्टेडियम में करीब साढ़े चार सौ बच्चे रोजाना अभ्यास करते हैं। इसमें से ज्यादातर एथलीट हैं। हरियाणा ने जब से मूल निवास की अवधि को 15 साल से घटाकर पांच वर्ष किया, उसके बाद पंजाब, चंडीगढ़ से भी काफी खिलाड़ी यहां आने लगे हैं।
एक नजर हरियाणा के पदक विजेताओं की इनामी राशि पर
ओलम्पिक में विजेता स्वर्ण पदक को छह करोड़, रजत पदक को चार करोड़ तथा कांस्य पदक जीतने वाले को ढाई करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
इसी तरह सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को 5 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 4 लाख रुपए तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 3 लाख रुपए दिए जाते हैं। जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को 3.75 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 3 लाख रुपए तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 2.25 लाख रुपए मिलते हैं। सब जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 2.50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को दो लाख तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 1.50 लाख रुपए देने का प्रावधान है।
सीनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 20 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 15 लाख तथा कांस्य पदक विजेता को 10 लाख रुपए दिए जाते हैं। जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 15 लाख रुपए, रजत पदक को 11.25 लाख तथा कांस्य पदक जीतने वाले को 7.50 लाख रुपए देने का प्रावधान है। सब जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को 10 लाख, रजत पदक विजेता को 7.50 लाख रुपए तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 5 लाख रुपए दिए जाते हैं। एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने पर 3 करोड़, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने पर 1.5 करोड़ रुपए मिलते हैं।
नेशनल सीनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को तीन लाख रुपये, रजत पदक विजेता को दो लाख तथा कांस्य पदक विजेता को एक लाख रुपये दिए जाते हैं। यहां नेशनल जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 2.25 लाख रुपये, रजत पदक विजेता को 1.50 लाख रुपये तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 75 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसी तरह सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को 1.50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को एक लाख तथा कांस्य पदक विजेता को 50 हजार रुपए देने का प्रावधान है।
स्पोर्ट्स ग्रेडेशन सर्टिफिकेट पर नौकरी
ग्रेड-ए : सभी ग्रुप की नौकरी के लिए योग्य होंगे, ग्रेड-बी : ग्रुप-ए के अलावा बाकी ग्रुप की नौकरी, ग्रेड-सी: ग्रुप-सी और डी की नौकरियां। ग्रेड-डी: ग्रुप-डी की नौकरी।
इन खेलों में जरूरी है हरियाणा का डोमिसाइलः ओलम्पिक, पैरा ओलम्पिक, यूथ ओलम्पिक, 4 वर्ष में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप, एशियन गेम्स, पैरा एशियन, यूथ एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स (पैरा एथलीट)।
इसी तरह चंडीगढ़ द्वारा ओलम्पिक गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर 5 करोड़, रजत पदक 3 करोड़ तथा कांस्य पदक जीतने पर 2 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। वर्ल्ड कप हॉकी में स्वर्ण पदक जीतने पर 21 लाख, रजत पदक पर 11 लाख तथा कांस्य पदक जीतने पर 7 लाख रुपए दिए जाते हैं। एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक पर 7 लाख, रजत पदक पर 5 लाख तथा कांस्य पदक पर 3 लाख रुपए दिए जाते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर 7 लाख रुपए रजत पदक पर 5 लाख तथा कांस्य पदक जीतने पर 3 लाख रुपए दिए जाते हैं। यूथ ओलम्पिक गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता को 10 लाख, रजत पदक विजेता को 7.5 लाख तथा कांस्य पदक जीतने वाले को 5 लाख रुपए मिलते हैं। यूथ एशियन गेम्स में स्वर्ण जीतने पर 7 लाख, रजत पदकधारी को 5 लाख तथा कांस्य पदक विजेता को 3 लाख रुपए दिए जाते हैं।
एशियन/कॉमनवेल्थ चैपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को 4 लाख, रजत पदक 3 लाख, कांस्य पदक 2 लाख, यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक पर 5 लाख, रजत पदक पर 3 लाख तथा कांस्य पदक पर 2 लाख रुपए का प्रावधान है। सैफ गेम्स/एफ्रो एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर 3 लाख, रजत पदक पर 2 लाख तथा कांस्य पदक जीतने पर एक लाख रुपए दिए जाते हैं।