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डाउन सिंड्रोम से है पीड़ित बालक के साथ रहेगा उनका पिता खेलपथ संवाद इंदौर। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित इंदौर का सात वर्षीय बालक अपने पिता के साथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर जाएगा। पिता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। अवनीश दत्तक पुत्र है। इंदौर निवासी इस सात वर्षीय बालक का नाम अवनीश है। पिता का नाम आदित्य तिवारी है। आदित्य ने बताया कि वे दत्तक पुत्र अवनीश को लेकर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगे। तिवारी ने पांच साल पहले अवनीश को गोद लिया था। आदित्य ने बताया कि मैंने जनवरी 2016 में अवनीश को गोद लिया था, जब मैं 26 साल का था और अविवाहित था। मेरे बेटे को डाउन सिंड्रोम है और हम माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रेकिंग करने जा रहे हैं, जिसके लिए हम आखिरी तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप 5364 मीटर की ऊंचाई पर है। हम दो-तीन दिन हर पड़ाव पर रहेंगे और अपने बेटे की तबीयत को देखते हुए आगे बढ़ेंगे। अभी तक डाउन सिंड्रोम वाला कोई भी बच्चा इतनी कम उम्र में माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर में नहीं गया है। आमतौर पर लोग 12 दिनों में ट्रेकिंग पूरी कर लेते हैं। आदित्य ने बताया कि इसमें हमें 21 दिन लग सकते हैं। हमने एक गाइड, शेरपा और मेडिकल इमरजेंसी की भी व्यवस्था की है, जो जरुरत पड़ने पर अवनीश को एयरलिफ्ट कर सकती है। माउंट एवरेस्ट पर जाने के पीछे का विचार विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों के बारे में मानसिकता को बदलना और विभिन्न खेलों जैसे ट्रेकिंग, माउंटेन क्लाइम्बिंग आदि का पता लगाना है। अवनीश स्पेशल ओलंपिक में भी एक एथलीट है और वह वर्तमान में सेना में जाने के दौरान प्रशिक्षण ले रहा है। इससे पहले हम जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग और पहलगाम गए हैं, जो दोनों समुद्र तल से 2500 मीटर ऊपर है। लद्दाख भी जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए वह पिछले 6 महीने से ट्रेनिंग पर विशेष न दे रहे हैं। मैं चाहता हूं कि अवनीश को सहानुभूति या लाचारी का सामना नहीं करना पड़े। अवनीश को बचपन से ही डाउन सिंड्रोम है। इसे ट्राइसॉमी 21 भी कहते हैं। यह आनुवांशिक बीमारी है।