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वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और एथलीट एसडी मुदगिल समिति के सदस्य नियुक्त खेलपथ संवाद नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल को भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) के संचालन के लिये प्रशासकों की समिति का प्रमुख नियुक्त किया। जस्टिस रेखा पल्ली ने वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और एथलीट एसडी मुदगिल को समिति का सदस्य नियुक्त किया और कहा कि जब तक केंद्र सरकार या फिर स्वतंत्र संस्था द्वारा टीटीएफआई के मामलों की गहराई तक जांच नहीं की जाती तब तक महासंघ के संचालन के लिये ‘तुरंत प्रशासकों की समिति नियुक्त करने की जरूरत' है। टीटीएफआई के संचालन की ‘खेदजनक स्थिति' पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 11 फरवरी को जस्टिस रेखा पल्ली ने प्रबंधन का कार्य पदाधिकारियों से छीनने और प्रशासक की नियुक्ति का आदेश दिया था। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित मनिका बत्रा की याचिका पर सुनवाई पर जस्टिस रेखा पल्ली ने 12 पन्ने के आदेश में कहा कि टीटीएफआई ‘अपने अधिकारियों के हितों का बचाव करता है' और ‘खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के बजाय, टीटीएफआई उन्हें अपनी शर्तों पर चलाना चाहता है।' इसलिये प्रशासकों की समिति नियुक्त करना ही ‘एकमात्र विकल्प बचा' था। अदालत ने आदेश दिया कि टीटीएफआई की तरफ से खिलाड़ियों या अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं को सभी संपर्क अब प्रशासकों की समिति के माध्यम से ही होंगे और मौजूदा अधिकारियों को कोई भी कार्य करने का अधिकार नहीं होगा। इसमें कहा गया कि प्रशासकों की समिति जब भी अनुरोध करेगी तो उन्हें अधिकारियों द्वारा मदद प्रदान की जायेगी और साथ ही समिति की अध्यक्ष को 3 लाख रूपये और दो अन्य सदस्यों को 1-1 लाख रूपये का मासिक पारिश्रमिक दिया जायेगा। अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासकों की समिति प्रत्येक दो महीनों में एक ‘आवधिक रिपोर्ट' सौंपेगी जिसमें खातों से संबंधित जानकारी भी होगी। बत्रा को पिछले साल एशियाई टेबल टेनिस चैंपियनशिप के लिये भारतीय टीम में नहीं चुना गया था। उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय पर अपनी एक निजी प्रशिक्षु के हाथों ओलंपिक क्वालीफायर मैच गंवाने के लिये दबाव बनाने का आरोप लगाया था। अदालत ने बत्रा के आरोपों की जांच के लिये गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि अपनी निजी अकादमी चलाने वाले रॉय की राष्ट्रीय कोच पद पर नियुक्ति प्रथम दृष्टया ‘हितों के टकराव' का मामला है। अदालत ने कहा, ‘‘महासंघ द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय कोच को अपनी निजी अकादमी चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही दी जानी चाहिए। इस तरह के टकराव से बचना चाहिए, हमारे खिलाड़ी निश्चित रूप से बेहतर के हकदार हैं।' अदालत ने कहा कि अगर इसी तरह की नियुक्तियां अन्य खेलों में भी हैं तो केंद्र सरकार और अन्य खेल महासंघों को सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि जिस तरह से टीटीएफआई बत्रा की शिकायत से निपटा, उससे पता चलता है कि महासंघ ने राष्ट्रीय खेल संहिता (2011) के अंतर्गत अपना कर्तव्य निभाने के बजाय खिलाड़ी के विकास में बाधा डालने की कोशिश की।