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शीतकालीन ओलम्पिक का राजनयिक बहिष्कार करने वालों को चुकानी होगी कीमत कई और देश कर सकते हैं बहिष्कार बीजिंग। बीजिंग में 2022 में होने वाले शीतकालीन (विंटर) ओलम्पिक से पहले चीन को एक और झटका लगा है। अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब कनाडा ने भी बीजिंग विंटर ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का एलान किया है। इसे लेकर अब ड्रैगन की तरफ से भी गुस्सा जाहिर किया गया है। चीन ने गुरुवार को कहा कि जिन चार देशों ने बीजिंग विंटर ओलंपिक का बहिष्कार किया है, उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही बहिष्कार का एलान किया था। वहीं, ग्रेट ब्रिटेन और कनाडा ने बुधवार को इसकी घोषणा की। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से इसकी जानकारी दी। ट्रूडो ने कहा कि चीन में लगातार हो रहे मानवाधिकार के उल्लंघन से कनाडा काफी चिंतित है। इसके विरोध में हम विंटर गेम्स में किसी भी राजनयिक प्रतिनिधि को नहीं भेजेंगे। कनाडा से पहले ब्रिटेन ने भी बहिष्कार का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि हमारे देश से कोई भी राजनयिक चीन नहीं जाएंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने साथ ही यह भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि खेलों का बहिष्कार करना समझदारी है और यह सरकार की नीति है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और इससे पहले अमेरिका भी बीजिंग में होने जा रहे शीतकालीन ओलंपिक के बहिष्कार का एलान कर चुके हैं। इसके पीछे उन्होंने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार और अन्य कई मानवाधिकार उल्लंघनों का हवाला दिया है। हालांकि, चारों देश ओलंपिक में भाग ले रहे अपने खिलाड़ियों का समर्थन करते दिखेंगे। बीजिंग विंटर गेम्स का कई और देश बहिष्कार कर सकते हैं। इससे पहले भी कई ओलंपिक खेलों में ऐसा हो चुका है। कई देशों को अन्य देशों का बहिष्कार झेलना पड़ा है। 1956 मेलबर्न, 1964 टोक्यो, 1976 मॉन्ट्रियल, 1980 मॉस्को, 1984 लॉस एंजिल्स और 1988 सियोल में युद्ध, आक्रमण और रंगभेद जैसे कारणों से विभिन्न देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया था।